इंडियन सिविल एविएशन के पितामह जे.आर.डी टाटा का जन्म 1904 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था और उसी साल उसके दादा की मौत हो गई थी जिसने भारत में स्टील इंडस्ट्री की 1880 में नीव रखी थी, वो एक आशावादी ,शांत और सरल व्यक्तित्व के धनी थे वो सदैव सब के बारेमें सोचते थे।
"भौतिक दृष्टि से कोई भी सफलता या उपलब्धि तब तक सार्थक नहीं है जब तक वह देश और उसके लोगों की जरूरतों या हितों की सेवा नहीं करती है और यह सबकुछ निष्पक्ष और ईमानदारी से होता है।"
उसने टाटा ग्रुप के बिजनेस को आसमान तक पहुंचाया और हर क्षेत्र में बिजनेश को आगे बढ़ाया और टाटा एयरलाइन में भी उसका बहुत बड़ा योगदान है लेकिन उसका ए बड़प्पन था कि उसने अपने कार्यों कि कभी क्रेडिट नहीं ली कोई उसे कहता की आपने तो टाटा ग्रुप को बहुत आगे बढ़ाया तब वो हमेशा कहते थे कि मैने कुछ किया ही नहीं है मैने तो लिया हे वो है मैने उसमे कुछ नहीं किया।
"स्टील बनाने की तुलना चपाती बनाने से की जा सकती है। एक अच्छी चपाती बनाने के लिए,जब तक आटा अच्छा नहीं होगा तब तक एक सुनहरा पिन भी काम नहीं करेगा"।
भारत में सबसे पहले कमर्शियल पायलट का लाइसेंस भी जे.आर.डी टाटा को 1929 में मिला था वो देश के पहले पायलट बने थे उसके पहले भारत में कोई नहीं था और 1932 तक भारत में केवल रास्ते पर बस, ट्रेन, मोटर्स ही चलती थी भारत आसमान नहीं छु पा रहा था तब जे.आर.डी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइन का प्रारंभ करके भारत को आसमान तक भी पहुंचा दिया फिर टाटा एयरलाइन 1946 में एर इंडिया हो गई, जब एर इंडिया का 1953 में राष्ट्रीयकरण करने की बात आई तब भी टाटा ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर एर इंडिया भारत सरकार को दे दी।
टाटा भारत में औद्योगिक क्रांति के पितामह हे आज टाटा ग्रुप सुई से लेकर बड़ी से बड़ी चीजे बनाते है दुनिया के ज्यादातर उद्योगपति ए बात करते है हमारा देश आर्थिक महासत्ता होना चाहिए लेकिन जे.आर.डी टाटा का दृष्टिकोण उन सभी उद्योगपतियों से भिन्न थे वो ए कहते थे कि भारत एक आर्थिक महासत्ता बने या न बने उसमें हमे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन भारत एक खुशहाल देश होना चाहिए कि जहां सबके पास नौकरी हो और सब लोग खुश हो, टाटा की ए बात पर देश के लीडरों को ध्यान देने की जरूरत है क्युकी संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा जारी हेपिनेस 2020 रिपोर्ट में भारत का स्थान अंत में हे दुनिया के 156 देशों में से भारत का स्थान 144 वे क्रम पर हे वो बहुत दुख की बात है, देश आर्थिक रूप से महासत्ता की जगह देश के सभी लोग खुशहाल होने चाहिए जे.आर.डी टाटा के इन विचारों से लगता है कि उसको भारत के आम लोगों और समाज के प्रति कितना लगाव था वो बात हमे उसकी कमाई के कार्यों पर से दिखती हे टाटा ग्रुप की कमाई का आधा हिस्सा तो सामाजिक कार्यों के लिए इस्तमाल करते है और देश जब भी दिक्कत में होता है तो वो सबसे पहले आगे आकर सदैव मदद करते रहे है ।
पुरस्कार और सम्मान
जेआरडी टाटा को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन की मानद पद से सम्मानित किया था और बाद में उन्हें एयर कमोडोर पद पर पदोन्नत किया गया और फिर 1 अप्रैल 1974 को एयर वाइस मार्शल पद दिया गया। विमानन के लिए उनको कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया -मार्च 1979 में टोनी जेनस पुरस्कार ,सन् 1996 में फेडरेशन ऐरोनॉटिक इंटरनेशनेल द्वारा गोल्ड एयर पदक,सन् 1986 में कनाडा स्थित अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार और सन् 1988 में डैनियल गुग्नेइनिम अवार्ड। सन् 1966 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके नि: स्वार्थ मानवीय प्रयासों के लिए ,सन् 1992 में जेआरडी टाटा को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
"गहरी सोच और कड़ी मेहनत के बिना कुछ भी हासिल नहीं होता"
Very awesome������
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